8TH SEMESTER ! भाग- 119( Desire of A Kiss-4)
"हमारे मिलने का कोई चान्स नही, अरमान ... फिर kiss कहा से..."
निशा के इस रिप्लाइ पर मैने बिस्तर से वरुण का गॉगल उठाया,जो शायद वो अपने साथ ले जाना भूल गया था और उसे पहनकर टाइप किया
"Well, My Love... I have a plan...तेरे घर मे नींद की Expired tablets होंगी...राइट...?"
"रॉंग...."
"डायन कही की...कोई expired मेडिसिन नहीं है..??."
"है तो ...लेकिन ये तुम क्यूँ पुछ रहे हो.."
"क्यूंकी मैं तुमसे अब नागपुर के बेस्ट हॉस्पिटल मे मिलने वाला हूँ..."
"क्या बोल रहे हो.. मैं कोई एक्सपाइरी टैबलेट या मेडिसिन नही लेने वाली...समझे.. दिमाग़ खराब है क्या तुम्हारा"
"तेरे दिमाग़ का फ्यूज़ उड़ गया है क्या... Expired मेडिसिन तुझे नही तेरे बाप को...सॉरी अंकल जी को खिलानी है... ताकि उनकी तबीयत खराब हो और जब वो हॉस्पिटल मे अड्मिट होंगे तब अपुन दोनो का टांका भिड़ेगा...क्या बोलती ,सॉलिड आइडिया है ना... अबकी बार मिलेगी ना तो छोडूंगा नहीं तुझे... एकदम पी जाऊंगा तेरे होंठो को घंटो तक... तेरे जिस्म के हर एक अंग को kiss करूँगा...सिहर जायेगी..."
"एक दम बकवास आइडिया है.. कितनी गन्दी बात करते हो....चल हट ..."
" चल हट..?? चल हट..?? अब क्या तेरे साथ ऐसा नहीं करूँगा तो क्या तेरी उस फ्रेंड क्या नाम था बे अरुण उसका...??"
"सोनम..."अरुण पीछे से तुरंत बोला...
"हाँ सोनम... तो क्या अब तेरे साथ नहीं करूँगा तो उसके साथ करूँगा...?? "
"बेवकूफ...करने से पहले बताते नहीं है... हम लड़कियों को ऐसे खुल के बात करना पसंद नहीं..."
"अच्छा सुन ना..."
"Hmm"
"तेरी छातियों को बहुत मिस कर रहा... एक nude फोटो भेज ना... I Love You"
"चल हट..."
"फिर ठीक है...."जमहाई लेते हुए मैने आगे टाइप किया" वैसे अपने बापू को वो expired टैबलेट खिला देना....ऐसी गोली,दवाई से कुछ नही होता...मैने खुद पर बहुत बार एक्सपेरिमेंट किया है...."
"आआववववव...."
"क्या आआवववव "
"तुमने अभी कहा कि तुमने खुद पर एक्सपेरिमेंट किया है..."
"हां, जब भी एग्जाम्स मे मेरे कम मार्क्स आते या फिर मुझसे कोई ग़लती हो जाती तो घरवालो की डाँट से बचने के लिए मैं यही करता था.. क्यूंकी मैं तब कुछ घंटो के लिए मेरा शरीर डाउन हो जाता था.. जिसके बाद कोई कुछ नही बोलता था... यकीन मान अंकल जी का ज़्यादा से ज़्यादा सर दर्द करेगा या फिर बेहोश हो जाएँगे..."
"सच..."
"अब खून से लिख कर दूं क्या.."
"ठीक है...लेकिन मेरे डैड को मेडिसिन देगा कौन..."
"मैं दूँगा.. मैं तेरे घर आउन्गा और तेरे बाप से...सॉरी अंकल जी से कहूँगा कि ससुर जी मैं आपका दामाद हूँ... उसके बाद मैं अपने ससुर जी के साथ खाना खाउन्गा और चुपके से मेडिसिन उनके खाने मे मिला दूँगा...सिंपल.."
"क्या तुम सच मे ऐसा करोगे, मुझे तो ये डेंजरस लग रहा है...लेकिन कोई बात नही ,मैं तुम्हारे आने का इंतेजार करूँगी..."
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निशा का ये मेसेज पढ़ते ही मैने गॉगल्स निकाल कर बिस्तर पर फेका और ज़ोर से चिल्लाया
"हे भगवान,तूने लड़कियो को तो बनाया,पर उनके अंदर दिमाग़ क्यों नहीं बनाया... यदि तूने इनको दिमाग़ दिया होता तो ये हम मासूम लड़को का दिमाग़ नही खाती...."
मैने गुस्से मे अपने सर के बाल भी नोचे और फिर वापस जाकर कंप्यूटर के सामने बैठ गया...
"देख निशा...मैं अब जो बोल रहा हूँ ठीक वैसा ही करना और प्लीज़...प्लीज़...प्लीज़. अपना दिमाग़ मेरे इस प्लान मे मत लगाना. सबसे पहले तो कोई एक्सपाइरी मेडिसिन ढूँढ और अपने बाप...सॉरी यार, मतलब अंकल जी के खाने पीने मे किसी तरह मिला देना और हां ज़्यादा मत डाल देना..."
निशा के ऑफलाइन होने से पहले मैने उसे एम्बुलेंस वाले का नंबर भी दे दिया और कहा की जब उसके डैड की तबीयत खराब हो जाए तो वो आंब्युलेन्स वालो को कॉल कर दे... और उसी दौरान मुझे भी कॉल कर दे और मै सब देख लूंगा "
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"एक बात बता..."जब मैने कंप्यूटर शट डाउन किया तो अरुण बोला"तूने बीच मे गॉगल्स क्यूँ पहना...वीडियो चैट तो तुम दोनो कर नही रहे थे फिर बाबा आदम के जमाने की टेक्स्ट चाटिंग मे तूने गॉगल्स क्यूँ पहना..."
"मैं तो तुझे लाइन मार रहा था.. वो क्या है कि मैं तुझे पटा कर ठोकना चाहता हूँ ...जो काम मैं चार साल मे नही कर पाया ,वो मैं अब करने वाला हूँ... चल चलती क्या 11 से 12 के शो मे..."घड़ी की तरफ देखते हुए मैं बोला"आक्च्युयली अपुन जब भी गॉगल्स पहनता है तो एक दमदार हीरो वाली फीलिंग्स आती है...मुझे ऐसा लगता है जैसे कि मैं कुछ भी कर सकता हूँ..."
"अपनी खुद से मार भी सकता है...?? क्यूँ "
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अरुण ने खाना बनाया और मैने खाना खाया. एक घंटे पहले मैने निशा को जो प्लान बताया था उसमे रिस्क था,क्यूंकी यदि कही मेडिसिन ने निशा के बाप पर रियेक्शन कर दिया तो बहुत बड़ी दिक्कत हो सकती थी और इन सबका दोषी मैं होता... मुझे अब भी यकीन नही हो रहा था कि मैने निशा के बाप की जान सिर्फ़ एक किस के लिए दाँव पर लगा दी थी. एकदम too much हूँ मै भी.... खैर ये सच था और ये कारनामा करने का आइडिया मेरा ही था इसलिए मैं इस समय अब अपने प्लान के बैक अप के बारे मे सोच रहा था. लेकिन दिमाग़ था कि फ्यूचर मे होने वाले हॉस्पिटल के उस सीन की इमॅजिनेशन कर रहा था ,जब मैं और निशा हॉस्पिटल के बाथरूम मे एक -दूसरे की लेने मे लगे हुए था... यर खयाल आते ही मेरे मन के साथ -साथ मेरा हर अंग मचल उठा.
"साला मेरे को अब भी यकीन नही हो रेला है कि मैने सिर्फ़ एक किस के लिए इतना सब कुछ किया..."
"अब क्या कर दिया बे तूने...आ जा दारू पिएगा..."
"वैसे तो I Love daru more than Girls.... लेकिन इस समय ये फ़ॉर्मूला चेंज करना है..इसलिए नो दारू, दो चखना.."
अरुण को देखकर और निशा के बाप के बारे मे सोचकर मुझे कॉलेज के दिनो का मेरा एक एक्सपेरिमेंट याद आया जब मैने अरुण के नये शर्ट और जीन्स उससे पहले पहनने के लिए उसे expired टैबलेट खिला दी थी.... साला सुबह से शाम तक सर पकड़ कर रोता रहा था....
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"अरमान....मैने डैड को मेडिसिन दे दी है...वो इस समय बेहोश है और मॉम बहुत परेशान है..."
"गुड... "
"मुझे बहुत डर लग रहा है अरमान..मुझे अब ना जाने क्यूँ ऐसा लग रहा है कि हमे ये नही करना चाहिए था..."
"मुझे भी अब यही लग रहा है "
"क्याआ..क्या.....पर तुमने तो कहा था कि..."
"चल बाय ..ससुर जी को लेकर हॉस्पिटल पहुच ,मैं भी उधरिच मिलता हूँ..."
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कॉल डिसकनेक्ट करने के बाद मैने वरुण की बाइक उठाई और हॉस्पिटल के लिए निकल पड़ा. वैसे मैने निशा से हॉस्पिटल का नाम नही पुछा था लेकिन मुझे 101 % मालूम था कि निशा का रहीस बाप नागपुर के सबसे बेस्ट हॉस्पिटल मे अड्मिट होगा और मेरी ये सोच एक दम सही निकली...
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